Monday 28 December 2020

अरुण जेटली के जयंती पर विशेष

वकील से एक सफल राजनेता तक का सफर करने वाले अरुण जेटली जी की आज जयंती है।
अरुण जेटली संवाद के कुशल खिलाड़ी थे। एक बार अरुण जेटली से पूछा गया था कि अच्छा अर्थशास्त्री और चतुर राजनीतिज्ञ के बीच क्या चुनना चाहिए ? तब उन्होन
 बताया था कि यह विकल्प अनुचित है क्योंकि किसी भी सरकार को बने रहने और प्रदर्शन के लिए दोनों की आवश्यकता है। 
वह राजनीति के चाणक्य थे। जेटली प्रखर बौद्धिक क्षमता वाला, भारत के संविधान, इतिहास और प्रशासन में गहरी जानकारी वाले नेता थे।
                               राजनीति में आने से पहले वह सर्वोच्च   
न्यायलय में प्रैक्टिस करते थे। उन्होंने1975 में आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ जय प्रकाश आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था। उस समय वह युवा मोर्चा के संयोजक थे। उस दौरान जेल भी गए। वाजपेई सरकार के दौरान कैबिनेट मंत्री थे। भारतीय संसद के राज्य सभा में विपक्ष के नेता भी रहे। 
उनके मित्र हर दल में थे। प्रतिदिन पार्क में सैर करने करने के बाद लोगों के साथ बैठ कर देश दुनिया पर चिंतन करते थे।
उन्हें भाजपा के संकट मोचक के रूप में देखा जाता था। आज किसानों का आन्दोलन पिछले एक महीने से ज्यादा दिनों से चल रहा है। सभी मानते हैं कि अगर अरुण जेटली जीवित होते तो किसानों का आन्दोलन इतने लंबे समय तक नहीं चलता। वह कोई न कोई समाधान ज़रूर निकाल लेते। उनका स्वास्थ उनका साथ नहीं दिया। वे 66 वर्ष के उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया।
अरुण जेटली का नाम हमेशा भारतीय जनता पार्टी के स्वर्णिम इतिहास में शामिल रहेगा।



 

Thursday 24 December 2020

किसान - बंजर भूमि में बोता है आशाओं का बीज


एक ख्वाहिश,
एक सपना,
एक भूख,
एक मातृ प्रेम।
इन सब का मिला जुला रूप
किसान।
बंजर भूमि में बोता है
आशाओं का बीज।
दीमक - कांटों से बचाने को 
लाता है दवा उधार में।
उधार का पानी, उधार की खाद,
उधार की बिजली, देनदार की वसूली।
मेहनत का मूल्य 
शून्य .......।
चिड़ियों की चहकने से, उल्लू के जगने तक
लहलहाती मां का सपना लिऐ 
अनवरत कार्मशील।
प्रस्फुटन बीजों का नये उगते पत्ते।
मौसम की प्रताड़ना को निरंतर सहते हुए 
करता है मां का श्रंगार।
बीवी, बच्चों को भरपेट भोजन 
खिलाने की उम्मीद।
विवशता कर्ज़ चुकाने की ।
घर पहुंचते लिपट गए बच्चे
समझ गए दर्द किसान पिता का
बापू --
हमारा पेट रोटी नहीं मांगता।
हम धरती के , धरती हमारी मां।
चुकाते रहेंगे कर्ज़ 
अपनी मां का।
           प्रशान्त सिन्हा