Friday 30 July 2021
महान लेखक मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर उन्हे श्रद्धांजली
Wednesday 28 July 2021
विश्व प्राकृति संरक्षण दिवस
Saturday 24 July 2021
on the Occasion of Guru Purnima
Wednesday 7 July 2021
एक दूजे के लिए
Sunday 28 February 2021
डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन
आज भारत के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का पुण्यतिथि है। हमारे यूवाओं को उनके बारे मे जानना ज़रूरी है।
उनका जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था। पूरे देश मे अत्यंत लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेंद्र बाबू या देशरत्न कह कर पुकारा जाता था।
वह 1950 में संविधान सभा की अंतिम बैठक में राष्ट्रपति चुने गए और 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 तक देश के राष्ट्रपति रहे। राजेंद्र प्रसाद एक मात्र नेता रहे जिन्हें दो बार लगातार राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया। पेशे से वकील राजेंद्र बाबू महात्मा गांधी की प्रेरणा से वकालत छोड़ कर स्वतंत्रता संग्राम में उतरने का फैसला किया। भारत की आज़ादी की लड़ाई में उन्होंने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था। राजेंद्र बाबू को 1931 में सत्याग्रह आंदोलन और 1942 में हुए भारत छोड़ो आंदोलन के लिए महात्मा गांधी के साथ जेल भी जाना पड़ा था। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद 1934-1935 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। राष्ट्र के प्रति उनके योगदान को देखते हुए उन्हें देश के सबसे बड़े पुरस्कार भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।
राजेंद्र बाबू अपने विद्यार्थी जीवन में काफी कुशाग्र बुद्धि वाला छात्र माने जाते थे। वह इतने बुद्धिमान थे कि एक बार परीक्षा के दौरान उत्तर पुस्तिका की जांच करने वाले अध्यापक ने उनकी उत्तर पुस्तिका पर लिख दिया था कि " परीक्षा देने वाला परीक्षा लेने वाले से ज्यादा बेहतर है।" उन्होंने अपनी पढ़ाई के कारण गोपाल कृष्ण गोखले के द्वारा दिए गए " इंडियन सोसायटी " से जुड़ने का प्रस्ताव को ठुकरा दिया। राजेंद्र बाबू ने अलग अलग विषय में खुद को साबित किया था। अगर वह चाहते तो एक प्रशासनिक अधिकारी बन सकते थे। लेकिन उन्हें यह स्वीकार नहीं था। आज़ादी की कीमत उन्हें पता था इसलिए देश को मजबूत नींव देने के लिए वह राजनीति में आए। उनके जीवन से छात्रों को बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। संघर्ष, मेहनत और कामयाबी की मिशाल है डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद। राजेंद्र बाबू ने राष्ट्र का मान बढ़ाने के साथ ही देशवासियों का
मार्गदर्शन किया। उन्होंने अपने जीवनकाल में देश की सेवा कर साबित किया कि राष्ट्र ही सर्वोपरि है। इससे बढ़ कर और कुछ भी नही। उन्होंने कहा था कि जो लोग सोचते हैं कि राजनीति अच्छे लोग या पढ़े लिखे लोगों के लिए नहीं है। यह पुरी तरह से गलत है। उनके जयंती समारोह को लोग राष्ट्रीय मेघा दिवस के रूप में मनाते हैं।
डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जीवन सादगी एवं त्याग का प्रतीक था। राष्ट्रपति के पद पर रहने के बावजूद उनकी सादगी आज भी लोगों को प्रेरित करती है। राजेंद्र बाबू का कहना था कि दिखावट, फिजूलखर्ची अच्छे मनुष्य का लक्षण नहीं। वह चाहे कितना ही
बडा आदमी क्यों न हो। फिजूलखर्च करने वाला समाज का अपराधी है क्योंकि बढ़े हुए खर्चों की पूर्ति अनैतिक तरीके से नहीं तो और कहां से करेगा ? शायद उनकी
सादगी के कारण जवाहर लाल नेहरु और उनमें मतभेद थे। राजेंद्र बाबू और नेहरू के वैचारिक और व्यावहारिक मतभेद किसी से छुपा नहीं है। राजेन्द्र बाबू जहां हिन्दू परंपरावादी थे वहीं नेहरू आधुनिक और पश्चिम सोच वाले थे।
अप्रतिम प्रतिभा के धनी एवं सादा जीवन उच्च विचार के प्रतीक राजेंद्र बाबू देश वासियों के लिए सदा प्रेरणा श्रोत रहेंगे।