पिछले कुछ वर्षों से राजस्व सम्बंधी समझदारी आधारिक संरचना ( Infrasrtucure ) पर लक्ष्य आधारित ख़र्च और विकास की मिसाल बन कर बिहार ज़रूर उभरा है लेकिन ग़रीबी कम करने और पलायन रोकने के लिए सरकार को औद्योगिकरण और कृषि उत्पादकता में सुधार की ज़रूरत है।कुछ अरसे तक राज्य में उद्योग के नाम पर एकमात्र क्षेत्र निर्माण क्षेत्र ही रहा है।उद्योग धंधों को विकसित करने के लिए राज्य को लम्बा सफ़र तय करना होगा। राज्य में कृषि उपकरणों में और छोटे मशीन निर्माण,पर्यटन,सूचना,प्रौद्योगिकी ( IT ) खाद्य प्रसंस्करण और रेडीमेड वस्त्र निर्माण को प्राथमिकता देनी होगी।तत्काल इस क्षेत्र में निवेश की ज़रूरत है। जूट पूर्वोत्तर बिहार का एक प्रमुख कृषि उत्पाद होता था। जूट उत्पादन से सीमांचल में विकास व स्वरोज़गार के उद्देश्य से पूर्णिया में जूट पार्क लगाया गया था।कुछ दिनों से वह भी श्रम शोषण के कारण ठप्प पड़ा है उसे फिर से विकसित करने की ज़रूरत है। बिहार सरकार जूट एवं चीनी उद्योग को उबारने पर ध्यान दे जो बड़े पैमाने पर रोज़गार सृजन ;को प्रभावित करता है। तकनीक के दौर में आवश्यक है कि राज्य की आईटी आई विश्वस्तरीय बने। हमारे श्रमिक हूनर के साथ गाँव लौटे हैं।अनेक तरह से शहरी हूनर से लैस ये श्रमिक गाँव, जिले की तस्वीर बदल सकते हैं। ये युवा पीढ़ी दूसरे राज्य से लौट कर जाति और धर्म की संकीर्णता से ऊपर उठकर सामाजिक तानाबाना भी बनेंगे। घरेलू महिलायें भी दक्ष हो गयी होंगी। स्वरोज़गार के हूनर भी सामने आएँगे। ज़रूरत है कि सरकारी ख़ज़ाने से या बैंक से उन्हें सहायता दी जाए ।बिहार सरकार को दूरदर्शितापूर्ण योजना बनाकर अमल करना चाहिए।इससे गाँव और जिलों कि अर्थ व्यवस्था वापस लौटेगी। चुना ,ईंट, सिमेंट, लोहा,वेल्डिंग,लकड़ी आदि तरह तरह के रोज़गार एवं छोटे, बड़े व्यापार फलेंगे फूलेंगे। बिहार की जनता के प्रति केंद्र सरकार का भी दायित्व बनता है। क्योंकि दूसरे राज्य अमीर होते गए और बिहार ग़रीब होते गया। बदलाव का यह समय हस्तकौशल परम्पराओं का पुनरुद्वार कर ख़ाली होने जा रहे हाँथों का कूदतरत और माटी से दोबारा जोड़ने का है ताकि ख़ाली दिमाग़ कुछ सुंदर नया रचे। समय की माँग है कि बिहार में उद्दमशीलता की प्रक्रिया वास्तविक रूप से आसान बनाया जाए। नेता और जनता जातिवाद से ऊपर उठकर बिहार में औद्योगिक क्रांति में अपना योगदान दें।इन्स्पेक्टर राज से पूरी तरह मुक्ति पानी होगी। ज़मीन ख़रीदने और बेचने की प्रक्रिया को आसान बनाने की ज़रूरत है। कलेयर लैंड टाइटल से उद्दमशीलता को बढ़ावा मिलेगा।रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने के लिए निवेश लाने के लिए प्रयास करना होगा।सरकार को बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में निवेश के लिए अपने ख़ज़ाने का मुँह खोलना होगा। केंद्र सरकार द्वारा अच्छी फ़ंडिंग के कारण बिहार सरकार के पास पैसे की कमी नहीं होनी चाहिए। अगर नहीं भी है निवेश करने के लिए अपने ख़ज़ाने का मुँह खोलना होगा। यह इसलिए ज़रूरी है ताकि इस निवेश असर तुरंत महसूस हो और तात्कालिक संकट पर क़ाबू पाया जा सके। अगर सरकार श्रमिकों को अपने गाँव एवं जिले में रोज़गार देने में सफल होती है तो जनता का आधुनिक बिहाार का सपना पूरा होगा और श्रमिक अपने दर्द को भूल पाएँगे। बिहार की जनता को आज सोचने की ज़रूरत है कि बिहार से लोग दूसरे राज्य में जाते हैं लेकिन दूसरे राज्य से लोग बिहार नहीं आते। क्यों ? कौन थे और कौन हैं इसके ज़िम्मेवार ? इसके ज़िम्मेवार नेता के साथ जनता भी रही। जनता जातिवाद में बँटी रही और नेता इसका फ़ायदा उठाते रहे। सोशल इंजनीरिंग के नाम पर लड़ाते रहे। अब परिवर्तन की ज़रूरत है। अब शासक से सवाल पूछने का समय है। शांतिपूर्ण आंदोलन की ज़रूरत है। बिहार की जनता को इस बार उम्मीद है कि बिहार में उद्योग लगेंगे । इसके लिए लेना होगा दृढ़ संकल्प । हम एक नया बिहार ज़रूर बनाएँगे।
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