Thursday, 3 September 2020

शिक्षक दिवस: युग बदला और बदल गया गुरु - शिष्य का संबंध

हमारे समाज और देश में शिक्षकों के योगदान को सम्मान देने के लिए हर वर्ष 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
जीवन में सफल होने के लिए शिक्षा सबसे ज्यादा ज़रूरी है।  शिक्षक देश के भविष्य और युवाओं के जीवन को बनाने और उसे आकार देने के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कहते हैं कि किसी भी पेशे की तुलना अध्यापन से नहीं की जा सकती। ये दुनिया के सबसे नेक कार्य है। इस साल की शिक्षक दिवस मैं अपनी मां श्यामा सिन्हा को समर्पित करता हूं। 

मेरी मां श्यामा सिन्हा जो पिछले महीने इस दुनिया से चली गईं , को शिक्षा से काफी लगाव था। उन्होंने उस समय बी ए और बी एड किया था जिस समय कम  महिलाएं ही उच्च शिक्षा के लिए जाती थीं। उन्होंने 36 साल  पटना के राजकीय कन्या उच्च विद्यालय में अध्यापन को दिया था।  वह भी उन दिनों में जब निजी विद्यालय दो चार ही होते थे।  अमीर गरीब सभी छात्र छात्राएं सरकारी विद्यालयों में ही पढ़ा करते थे। उनके द्वारा पढ़ाई गई न जाने कितनी छात्राएं आज डाक्टर, इंजिनियर,  अध्यापिका, या ऑफिसर बनी होंगी। वे अध्यापन के अलावा सामाजिक कार्य भी  किया करती थीं। उन्होंने बहुत से लड़कियों की शादियां कराई। बहुत लोगों को आश्रय दिया।  एक घटना मुझे आज भी याद है। एक व्यक्ति , जो  रेस्टोरेंट चलाता था लेकिन लंबी बीमारी की वजह से उसे  रेस्टोरेंट बंद करना पड़ा था मेरी मां के पास अपनी पत्नी और छ बच्चों के साथ आया और मेरे घर के सामने खाली  पड़ी जमीन पर ढाबा खोलने के लिए अनुमति मांगी।  वहीं पास में असामाजिक तत्वों द्वारा खोली हुई चाय की दूकान वाले  नहीं चाहते  थे कि वहां ढाबा खुले। उन्होंने विरोध किया। मां ने प्रशासन की मदद से उस चाय वाले को वहां से हटा कर उस व्यक्ति की ढाबा खुलवा दी जिसका एहसान उसकी संतानें आज भी मानती है। तभी तो ज्यादातर शिक्षक आज़ादी की लड़ाई में शामिल थे क्योकि शिक्षक निडर होते हैं और किसी के सामने नहीं झुकते।

उन दिनों ( सत्तर के दशक में ) शिक्षक दिवस बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता था।  उन दिनों शिक्षक दिवस के दिन पढ़ाई नहीं होती थी बल्कि उत्सव और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे। छात्राएं अपनी शिक्षिका को ढेर सारे उपहार दिया करती थीं। गुरु - शिष्य परंपरा को कायम रखने के लिए संकल्प लिया जाता था। मै मां के साथ  बचपन में उनके विद्यालय इस दिन ज़रूर जाया करता था इसलिए अभी भी मेरे मस्तिष्क पटल पर है।  
युग बदल गया और बदल गया गुरु - शिष्य का संबंध।  जब शिक्षा एक व्यवसाय बन कर रह गई है तो ऐसे में समय के साथ छात्रों और शिक्षकों के आपसी संबंध भी बदले हैं। आज शिक्षा में शिक्षक की भूमिका अस्वीकार कर E - Learning  जैसी बात हो रही है लेकिन मेरा मानना है आमने सामने के शिक्षण में जो आपसी विचारों का आदान प्रदान होता है वह दूरस्थ शिक्षा में संभव नहीं हो पाता। इसमें विचारों का एक तरफा बहाव है जो छात्रों का सम्पूर्ण विकास नहीं कर पाता है। शिक्षकों में भी समाज के दूसरे वर्ग की तरह कमाने की इच्छा बढ़ गई है। आज छात्र - छात्राओं और शिक्षकों के में  भले ही मतभेद हो लेकिन शिक्षकों को वह सम्मान हमेशा देना चाहिए जिसके वह हकदार हैं। शिक्षक दिवस के बहाने ही सही उनकी कृतज्ञता स्वीकार कर के यह संकल्प लेना चाहिए कि हमेशा उनका आदर करेंगे। 
 






3 comments:

  1. Very nicely written. Salute to all the Teachers on the Occasion of Teachers Day and Forever.

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  2. Commendable work... Prashant! Very apt on present educational scenerio on the occasion of Teachers Day. Pl continue the good work...!👍🏼👍🏼

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  3. Very beautifully expressed... keep it up 👍🏼

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