Monday, 14 September 2020

हिंदी के विस्तार में विचारों और अन्य संस्कृतियों का समावेश ज़रूरी

आज हिंदी दिवस है।  लेकिन हिंदुस्तान में ही हिन्दी को  बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है इससे बड़ी विडंबना क्या हो  सकता है। इसका प्रचार प्रसार दूसरे देशों में कैसे हो सकता है जब एक साजिश के तहत अपने  ही देश में कुछ मुट्ठी भर लोग इसे हाशिए पर चढ़ाना चाहते हैं। हमारे देश में रोज   हिन्दी की हत्या की जा रही है। हिंदी के प्रति प्रचार प्रसार की जिम्मेवारी जिसे दी जाती है वहीं अपनी जिम्मेदारी ठीक तरह नहीं निभाते। मेरे एक मित्र ने एक कहानी सुनाई थी।

सरकारी कार्यालय में नौकरी मांगने हमारे मित्र  पहुंचा तो अधिकारी ने पूछा - क्या किया है ?
मित्र ने कहा - एम. ए.
अधिकारी बोला - किस में ?
मित्र ने गर्व में कहा - हिंदी में 
अधिकारी ने नाक सिकोड़ी  और बोला - अच्छा .. हिंदी में एम. ए. हो ? बड़े बेशर्म हो अभी तक ज़िंदा हो , तुमसे अच्छा तो वो स्कूल का लड़का ही अच्छा था  जो ज़रा सी हिंदी बोलने के कारण इतना अपमानित हुआ कि उसने आत्म हत्या कर ली अरे इस देश के बारे में सोचो नौकरी मांगने आए हो , कहीं खाई या कुआं खोजो
मित्र  ने कहा - हिंदुस्तान में रहते हुए हिन्दी का विरोध, हिंदी के प्रति इतना प्रतिशोध ? 
अधिकारी ने कहा -  यह हिंदुस्तान नहीं,  इंडिया है और हिंदी सुहागिन भारत के माथे की उजड़ी हुईं बिंदिया है । तुम्हारे ये हिंदी के ठेकेदार हर वर्ष हिंदी दिवस तो मनाते है पर रोज होती हिंदी - हत्या को जल्दी भूल जाते हैं।

हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है लेकिन राष्ट्र बोलने से कतराता है। जुबान से " A B C D "  जिस  confidence  से फूटती है " क ख ग घ " उस आत्म विश्वास से क्यों नहीं निकलता है। मां - बाप भी चौड़े हो कर बताते है कि उनके   बच्चे अंग्रेज़ी में बोलते है । ये क्यों नहीं समझते कि जो अपनापन " मां " में है वह अपनापन " Mom " में नहीं है।

हिंदी का विस्तार तब तक नहीं हो सकता, जब तक इसमें विचारों और अन्य संस्कृतियों का समावेश न किया जाए।  विश्व की चौथी सबसे बड़ी  भाषा होने के बावजूद इसके प्रसार की दिशा में कभी कोई संगठित प्रयास ही नहीं किया गया। यही वजह है कि आज हिंदी पर  अंग्रेज़ी दां लोग हावी हो रहे हैं । हिंदी को समृद्ध बनाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। हमारी भाषा हमारी सांस्कृतिक पहचान को परिभाषित करती है।  हिंदी की महत्ता इससे भी आती है कि यह हमे स्वयं से जोड़ती है।  
बता दें देश में करीब 77 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते हैं। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा आज़ाद भारत की मुख्य भाषा के रूप में हिंदी को पहचान दी गई थी। साल 1952 में पहली बार हिंदी दिवस का आयोजन हुए था। तब से ये सिलसिला लगातार बना हुआ है।गांधी जी ने हिंदी भाषा को जनमानस की भाषा भी कहा है।  हिंदी का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है।


2 comments:

  1. बहुत बढ़ियां👌🏻👍

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  2. हिंदी हमारी मातृभाषा है सम्मान करें ।👌👌👌👌👍👍बहुत बढ़िया और सही लेख लिखा है 👌👍

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