समस्याओं का समाधान हमारे अपनों में ही मिल जाते हैं इसलिए ज़रूरी है अपने दोस्तों, परिवारवालों के साथ मिलकर चर्चा करें। अकेला बैठने से बचें, गाने सुने, किताबें पढ़ें। अपने शौक को ज़िंदा रखें। चिंता नहीं चिंतन करें क्योंकि चिंता चिता से भी बुरी होती है। समाज में सभी को एक दूसरे के प्रति संवदनशील होकर इस समस्या से लड़ना होगा। सभी को एक दूसरे का ख्याल रखने की जरूरत है। कभी भी किसी समस्या से परेशान होकर हताश होने लगे या टूटने लगे तो उसी समय से अपने आप पर ध्यान देने या अपनी देखभाल स्वयं करने की शुरुआत कर दें।किसी रचनात्मक कार्य से जुड़ जाएं जो आपके लिए मलहम का काम करें। स्वामी विवकानन्द के अनुसार जीवन एक युद्ध के समान है जिसमें योद्धा की तरह व्यक्ति को हर पल विषम परिस्थितियों में मुकाबला करने के लिए तैयार रहना पड़ता है।उसे विफलता के अंधेरे को भगाकर दृढ़ता का दीपक जलाना पड़ता है।
आज विश्व में विपत्ति आयी हुई है। भारत इससे अछूता नहीं है। एक तरफ करोना तो दूसरी तरफ तूफान, भूकंप के झटके और आर्थिक मंदी। व्यवसाय बंद हो रहे हैं, नौकरियां जा रही हैं। ये समस्याएं मानसिक अवसाद की और ले जा रही है। इससे संभालना ज़रूरी है। आत्महत्या कर अपने जीवन को बर्बाद करना उचित नहीं। किसानों द्वारा आत्महत्या या बाराबंकी की उत्तर प्रदेश में एक ही परिवार के पांच लोगों की आत्महत्या सोचने पर विवश करती है।ये मामले और और अधिक बढ़ने कि आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
रोम के महान दार्शनिक सेनेका कहते हैं कि कठिन रास्ते भी हमे ऊंचाइयों तक ले जाते हैं। अनिश्चितताएं हमारी शत्रु नहीं है। कुछ स्थायी नहीं होता बताता है कि कोई भी जीवन की असीमित संभावनाओं को जान नहीं सकते। कभी आप अनिश्चितताओं की तरफ बढ़ते हैं तो कभी वह आपको ढूंढ लेती है। यही जीवन है। हर रात के बाद सवेरा आता है। और यह भी सत्य है कि रात जितनी काली और भयावह होगी सुबह उतनी ही प्रकाशमान और सुहावने होंगी।
आपने सही कहा चिंता नहीं चिन्तन करें । बहुत अच्छा लिखा है आपने 🙏
ReplyDeleteI hope this will help people rethink looking for redressal of their problems... Nice work
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