करोना बेशक एक महामारी के रूप में विश्व में फ़ैल गया जिससे जानमाल का बहुत नुकसान हुआ।यकीनन इंसान इस महामारी पर विजय भी पा जाएगा।
इस महामारी के कारण कई देशों ने लंबी लॉक डाउन किया। इससे एक फायदा हुआ प्रदूषण में भारी कमी।एक रिपोर्ट के अनुसार गंगा नदी का जल भी स्वच्छ होने लगा है।निर्माण कार्य बंद होने के कारण वातावरण से धूल मिट्टी लगभग गायब है।पंजाब के जालंधर शहर से हिमाचल के बर्फ से ढके पहाड़ दिखने लगे हैं, पक्षियों की चाचाहट जिसे शहरों के बच्चों ने शायद ही सुनी होगी वह चारों तरफ सुनाई दे रही है।नोएडा में नील गाय,चंडीगढ़ में तेंदूआ, तो कहीं हिरण जैसे वन्य जीव शहरों के सड़कों पर देखने को मिल रहे हैं। नीला आसमान और टिमटिमाते तारों को देखकर बच्चे गदगद हैं।
ये सारे परिवर्तन क्यों और कैसे हुए ?
ये परिवर्तन लॉक डाउन के कारण हुआ। लॉक डाउन के कारण सारे फैक्टरियां बंद हो गईं, सड़कों पर दौड़ती लाखों गाडियां एवं हवाई जहाजों के बंद होने के कारण हुआ।ये फैक्ट्रियों,गाड़ियों एवं लोगों के शोरगुल बंद होने के कारण हुआ। इंसानों ने वायु,ऊर्जा,ध्वनि,मिट्टी,जल प्रदूषण को चरम सीमा पर पहुंचा दिया।प्राकृतिक संतुलन एवं पर्यावरण संतुलन को लगभग नष्ट कर दिया है।विकास के नाम पर प्रकृति एवं पर्यावरण के साथ बहुत दिनों से छेड़ छाड़ कर रहे हैं। विज्ञान की निरंतर भाग दौड़ तथा मानव का भौतिकवाद, लोभ,संसार को नष्ट करता जा रहा है।
इस लॉक डाउन से हमें सबक मिला है कि कठोर कदम उठाने से हम अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं ज़रूरत है इच्छा शक्ति की। समस्त विश्व को एकजुट होकर परस्पर सहयोग से कार्य करना होगा। पर्यावरण जैसी चुनौती के लिए हमें तुरंत प्रभावी कदम उठाने होंगे।हमें पर्यावरणीय प्रदूषण से विमुक्त होने का प्रयास करना होगा।सम्पूर्ण मानव जाति को गंभीरता से इस पर चिंतन करने की जरूरत है।
मेरा मानव जाति के लिए एक संदेश !!!
"लौट आओ प्रकृति की ममता की गोद में।इसी में सभी का कल्याण है।"
अपना और अपने आगे आने वाली संतानों के लिए विकास अवश्य करो किन्तु विनाश नहीं।ईश्वर ने कितनी खूबसूरत दुनिया बनाई है ये लॉक डाउन के बाद एहसास हुआ। मुफ्त में मिली हुई अनमोल उपहार की कद्र करने कि ज़रूरत है।
इस महामारी के कारण कई देशों ने लंबी लॉक डाउन किया। इससे एक फायदा हुआ प्रदूषण में भारी कमी।एक रिपोर्ट के अनुसार गंगा नदी का जल भी स्वच्छ होने लगा है।निर्माण कार्य बंद होने के कारण वातावरण से धूल मिट्टी लगभग गायब है।पंजाब के जालंधर शहर से हिमाचल के बर्फ से ढके पहाड़ दिखने लगे हैं, पक्षियों की चाचाहट जिसे शहरों के बच्चों ने शायद ही सुनी होगी वह चारों तरफ सुनाई दे रही है।नोएडा में नील गाय,चंडीगढ़ में तेंदूआ, तो कहीं हिरण जैसे वन्य जीव शहरों के सड़कों पर देखने को मिल रहे हैं। नीला आसमान और टिमटिमाते तारों को देखकर बच्चे गदगद हैं।
ये सारे परिवर्तन क्यों और कैसे हुए ?
ये परिवर्तन लॉक डाउन के कारण हुआ। लॉक डाउन के कारण सारे फैक्टरियां बंद हो गईं, सड़कों पर दौड़ती लाखों गाडियां एवं हवाई जहाजों के बंद होने के कारण हुआ।ये फैक्ट्रियों,गाड़ियों एवं लोगों के शोरगुल बंद होने के कारण हुआ। इंसानों ने वायु,ऊर्जा,ध्वनि,मिट्टी,जल प्रदूषण को चरम सीमा पर पहुंचा दिया।प्राकृतिक संतुलन एवं पर्यावरण संतुलन को लगभग नष्ट कर दिया है।विकास के नाम पर प्रकृति एवं पर्यावरण के साथ बहुत दिनों से छेड़ छाड़ कर रहे हैं। विज्ञान की निरंतर भाग दौड़ तथा मानव का भौतिकवाद, लोभ,संसार को नष्ट करता जा रहा है।
इस लॉक डाउन से हमें सबक मिला है कि कठोर कदम उठाने से हम अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं ज़रूरत है इच्छा शक्ति की। समस्त विश्व को एकजुट होकर परस्पर सहयोग से कार्य करना होगा। पर्यावरण जैसी चुनौती के लिए हमें तुरंत प्रभावी कदम उठाने होंगे।हमें पर्यावरणीय प्रदूषण से विमुक्त होने का प्रयास करना होगा।सम्पूर्ण मानव जाति को गंभीरता से इस पर चिंतन करने की जरूरत है।
मेरा मानव जाति के लिए एक संदेश !!!
"लौट आओ प्रकृति की ममता की गोद में।इसी में सभी का कल्याण है।"
अपना और अपने आगे आने वाली संतानों के लिए विकास अवश्य करो किन्तु विनाश नहीं।ईश्वर ने कितनी खूबसूरत दुनिया बनाई है ये लॉक डाउन के बाद एहसास हुआ। मुफ्त में मिली हुई अनमोल उपहार की कद्र करने कि ज़रूरत है।
Congratulations Sinha Ji, valid points mentioned in your blog. But ईश्वर करे तुफान से पहले की शान्ति जैसा यह अच्छा पर्यावरण साबित ना हो, because when things would be online then many more problems we will have encounter i.e. crisis of food materials, unemployment, economic slowdown, health issues etc.Still your blog is appreciable continue writing.
ReplyDeleteThank you,
Thank you
DeleteSatya Prakash Upadhyay
ReplyDeleteThanks Satya ji
DeleteRealy nice analysis. Good sir
ReplyDeleteThanks
Deleteहर साल अगर पूरी दुनिया मे 15 दिन का lockdown कर दे तो !!!
ReplyDeleteजरूरी है अगर पर्यावरण को बचाना है।l
ReplyDelete