Monday, 28 December 2020
अरुण जेटली के जयंती पर विशेष
Thursday, 24 December 2020
किसान - बंजर भूमि में बोता है आशाओं का बीज
एक ख्वाहिश,
Monday, 30 November 2020
कार्तिक पुर्णिमा, देव दीपावली, गुरुनानक जयंती और प्रकाश पर्व
Friday, 20 November 2020
छठ व्रत और मां
Saturday, 14 November 2020
Deepawali celebrates the light of Knowledge
Saturday, 31 October 2020
सरदार पटेल और राष्ट्रीय एकता दिवस
Tuesday, 6 October 2020
पासवान की 2005 की पुनरावृत्ति
Thursday, 1 October 2020
गांधी को जिसने नहीं पढ़ा उसने गांधी को नहीं समझा
Sunday, 27 September 2020
बिहार चुनाव 2020 और जातिवाद
Wednesday, 23 September 2020
कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव
Monday, 14 September 2020
हिंदी के विस्तार में विचारों और अन्य संस्कृतियों का समावेश ज़रूरी
Monday, 7 September 2020
विश्व साक्षरता दिवस : शिक्षा का प्रचार - प्रसार की जिम्मेवारी सभी की
पूरा विश्व 8 सितम्बर को हर वर्ष साक्षरता दिवस मनाता है। विश्व में शिक्षा के महत्व को दर्शाने और निरक्षरता को समाप्त करने के उद्देश्य से 17 नवम्बर 1965 को यह निर्णय यूनेस्को द्वारा लिया गया था। पहला अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 1966 को मनाया गया था।
भारत में साक्षरता दर 74.04% है जहां पुरुषों की साक्षरता दर 82.14% है वहीं महिलाओं में इसका प्रतिशत केवल 64.46 है। आशा है आने वाले 20 सालों में 99. 50% हो जाएगा।
साक्षरता के क्षेत्र में विश्व में भारत का 131 वां स्थान है। भारत में अभी भी 60 लाख बच्चे स्कूल नहीं जाते। भारत में सबसे ज्यादा निरक्षर लोग रहते हैं। भारत में 28 करोड़ बच्चे पढ़ नहीं सकते। केरल में सबसे ज्यादा साक्षरता प्रतिशत 93.91 है।
सभी के लिए शिक्षा एक विकसित , सभ्य समाज की महत्वपूर्ण विशेषता है। इसलिए हम ये समझते हैं कि शिक्षा है क्या ? जीवन की सुसंस्कृत और सुचारू रूप से चलाने के लिए शिक्षा अति आवश्यक है। शिक्षा मानव को एक अच्छा इंसान बनाती है। शिक्षा में ज्ञान , उचित आचरण , तकनीकी दक्षता , शिक्षण और विद्या प्राप्ति आदि समाविष्ट है। अतः शिक्षा , कौशलों, व्यापार या व्यवसाय एवं मानसिक , नैतिक और सौंदर्य विषयक के उत्कर्ष पर केन्द्रित है। समाज की एक पीढ़ी अपने ज्ञान को दूसरी पीढ़ी में स्थांतरित करने का प्रयास ही शिक्षा है। अतः हम कह सकते हैं कि शिक्षा एक संस्था के रूप में काम करती है जो व्यक्ति विशेष को समाज से जोड़ने में महत्वपूर्ण भमिका निभाती है तथा समाज की संस्कृति को निरंतरता को बनाए रखती है। शिक्षा के द्वारा ही बच्चे समाज के आधारभूत नियमों व्यवस्थाओं एवं मूल्य को सीखते है।
साक्षरता और शिक्षा का वास्तविक अर्थ क्या है ? क्या इसका अर्थ यह है कि हम उनलोगों को शिक्षित और साक्षर माने जो पढ़ लिख सकते हैं और संख्याओं को समझ सकते है ? क्या हम ऐसे व्यक्ति को शिक्षित मान सकते हैं । क्या हम ऐसे व्यक्ति को शिक्षित मान सकते है जिसने विद्यालय और महाविद्यालय स्तर पर विभिन्न विषयों और पाठ्यक्रमों का अध्ययन किया है। यदि आप अपनी शिक्षा का विश्व के साथ व्यवहार करते समय या अपने व्यावसायिक जीवन उपयोग करने में असमर्थ है तो आपकी शिक्षा का कोई अर्थ है ?
शिक्षा का आधुनिक और विश्वसनीय पैमाना यह होना चाहिए कि शिक्षित व्यक्ति कितनी अच्छी तरह से और कितनी तेजी से बदलते विश्व परिदृश्य के साथ अपने आपको समायोजित करता है। सच्चे अर्थ में शिक्षा का सीधा संबंध आत्मबोध से होता है।
साक्षरता दिवस पर सभी को संकल्प ज़रूर तीन काम करना चाहिए :
1. कम से कम एक जरूरतमंद बच्चे को ज़रूर पढ़ाएं।
2. बच्चों के लिए किताबों का संग्रह करें और घरों में छोटा पुस्तकालय बनाएं।
3. ऑफिस में " पुस्तक क्लब " ज़रूर बनाएं।
इसके साथ एक नई शुरुआत करते हैं। साक्षरता दिवस पर प्रण करते हैं कि शिक्षा का प्रचार - प्रसार करेंगे। ज्यादा से ज्यादा बच्चे जो गरीबी के कारण स्कूल नहीं जा पाते उनके पढ़ाई का खर्च उठाएंगे। सरकार पर शिक्षा के लिए बजट बढ़ाने के लिए दवाब बनाएंगे। शिक्षा की प्राप्ति को संभव बनाना अर्थात बालकों से लेकर प्रौढ़ तक के यथोचित शैक्षणिक परिवेश प्रदान करना हम सभी की जिम्मेवारी होनी चाहिए। हमारी यही छोटी छोटी कोशिशें कई बार बड़ा आकार लेने में सक्षम होती है। इससे देश की तस्वीर बदल जाएगी।
चित्र : गूगल